उ.प्र. गो-वध निवारण (संशोधन) अध्यादेश, 2020


प्रश्न-9 जून, 2020 को उत्तर प्रदेश मंत्रिपरिषद ने उ.प्र. गो-वध निवारण (संशोधन) अध्यादेश, 2020 के प्रारूप को स्वीकृति प्रदान की। इसके तहत गोकशी की घटनाओं हेतु कितने वर्ष की अधिकतम सजा का प्रावधान है?
(a) 3 वर्ष
(b) 7 वर्ष
(c) 5 वर्ष
(d) 10 वर्ष
उत्तर-(d)
संबंधित तथ्य



  • 9 जून, 2020 को उत्तर प्रदेश मंत्रिमंपरिषद ने ‘उ.प्र. गो-वध निवारण (संशोधन) अध्यादेश, 2020 के प्रारूप को स्वीकृति प्रदान की।

  • इसका उद्देश्य उत्तर प्रदेश गो-वध निवारण अधिनियम को और अधिक संगठित एवं प्रभावी बनाना तथा गो-वंशीय पशुओं की रक्षा तथा गोकशी की घटनाओं से संबंधित अपराधों को पूर्णतः रोकना है।

  • ज्ञातव्य है कि उत्तर प्रदेश गो-वध निवारण अधिनियम, 1955 6 जनवरी, 1956 को प्रदेश में लागू हुआ था।

  • मूल अधिनियम की धारा 5 (क) में उपधारा (5) के पश्चात इन उपबंधों को अध्यादेश में सम्मिलित किया गया है।

  • जहां उक्त वाहन इस अधिनियम के अधीन सक्षम प्राधिकारी या प्राधिकृत प्रयोगशाला द्वारा गोमांस से संबंधित होना पुष्टिकृत कर दिया गया हो, वहां तब तक चालक, ऑपरेटर तथा परिवहन से संबंधित स्वामी को इस अधिनियम के अधीन अपराध से आरोपित किया जाएगा।

  • जब तक कि यह सिद्ध नहीं हो जाता है कि परिवहन के साधन की समस्त सावधानियों के होते हुए और उसकी जानकारी के बिना अपराध में प्रयुक्त परिवहन के साधन का प्रयोग अपराध करने के निमित्त किसी अन्य व्यक्ति द्वारा किया गया है।

  • दंड एवं जुर्माने में वृद्धि किए जाने हेतु मूल अधिनियम की धारा-8 में संशोधन प्रस्तावित किए गए हैं।

  • इसके तहत जो कोई धारा 3, धारा 5 या धारा 5 क के उपबंधों का उल्लंघन करता है या उल्लंघन करने का प्रयास करता है या उल्लंघन करने के लिए दुष्प्रेरित करता है, वह ऐसी अवधि के कठोर कारावास, जो न्यूनतम 3 वर्ष और अधिकतम 10 वर्ष हो सकता है, और जुर्माना जो न्यूनतम 3 लाख रुपये होगा और अधिकतम 5 लाख रुपये तक का हो सकता है, से दंडनीय किसी अपराध का दोषी होगा।